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Friday, July 31, 2020

दोस्त..?


दोस्त एंटरटेनमेंट है आपके तनाव का
दोस्त एक्सपीरियंस है आपके साथ का
दोस्त डिटेक्टर है आपकी बुराई का
दोस्त पैरामीटर हे आपके बर्ताव का

दोस्त प्रेसेंटर है आपकी खूबियों का
दोस्त सिलेक्टर है आपकी पसंद का
दोस्त एक्सेलेटर है आपकी प्रगति का
दोस्त ब्रेकर है आपकी अधोगति का

दोस्त टीचर है आपके बदलाव का टी
दोस्त स्टूडेंट है आपके आचरण का
दोस्त कॉन्फिडेंस है आपके ज्ञान का
दोस्त क्रिएटर है आपके चरित्र का

दोस्त मेमोरीकार्ड है आपकी यादों का
दोस्त फ्यूचर है आपकी सोच का
दोस्त सीक्रेट है आपकी सफलता का
दोस्त एसेट है आपकी जिंदगी का

- रानमोती /Ranmoti 

प्रिय मित्र होते है !

हसानेवाले, रुलानेवाले
खिलानेवाले, पिलानेवाले
चढ़ानेवाले, उतारनेवाले
मालूम कौन होते है ?
प्रिय मित्र होते है !

दिखानेवाले, छुपानेवाले
बढ़ानेवाले, घटानेवाले
यादोंवाले, फिर्यादवाले
मालूम कौन होते है ?
प्रिय मित्र होते है !

संभालनेवाले, बिगाड़नेवाले
चलानेवाले, रुकानेवाले
जलनेवाले, जलानेवाले
मालूम कौन होते है ?
प्रिय मित्र होते है !

समझनेवाले, समझानेवाले
सिखानेवाले, सीखनेवाले
तारीफ़वाले, निंदावाले
मालूम कौन होते है ?
प्रिय मित्र होते है !

मदत करनेवाले, लेनेवाले
साथ देनेवाले, छोड़नेवाले
वक्त बनानेवाले, बिगाड़नेवाले
मालूम कौन होते है ?
प्रिय मित्र होते है !

- रानमोती / RANMOTI  

Wednesday, July 29, 2020

भूल जाती हूँ


क्या खूबियाँ है मुझमें जान पाती मगर
मै उससे पहले ही खुद को भूल जाती हूँ
जमाना चाहें करे लाख सितम मगर
मै समझकर नासमझ बन जाती हूँ

जोड़ती हूँ उम्रभर अतूट रिश्ते मगर
मै खुद ही चूर चूर कर बिखर जाती हूँ
बनाया है मैने खूबसूरत आशियाँ मगर
मै खुद को ही सवांरना भूल जाती हूँ

आंखो में मेरे बेहती है फिक्र मगर
मै खुद के लिये बेफिक्र हो जाती हूँ
मुझ में बसा दया का सागर मगर
मै खुद के लिये बेदर्द बन जाती हूँ

बड़ी शिद्दत से पाला मैंने सबको मगर
मै खुद को ही जतन करना भूल जाती हूँ
दूसरो के खातिर जी लेती उम्रभर मगर
मै खुद के लिये पलभर सांस ना ले पाती हूँ

कोई मिटाएगा मेरे सारे दुःख मगर
मै खुद ही हसना भूल जाती हूँ
है मेरा भी जीवन अनमोल मगर
मै उसका भी मूल्य भूल जाती हूँ

सजाती हूँ दुसरो की दास्ताँ मगर
मै खुद की ही कहानी भूल जाती हूँ
धरतीपर खुदा का वरदान हूँ मगर
मै दूसरो के लिए खुद ही मिट जाती हूँ

- राणी अमोल मोरे

Monday, July 27, 2020

बाई एसटी माई


बाई एसटी माई सांग कव्हा येशील
डोस्क्यावरचं गठुडं गावी कव्हा नेशील
वाट पाहत बसलो कव्हाचं फाट्यावर
आता तरी ये आम्हा गरीबाच्या वाट्यावर
बाई एसटी माई सांग कव्हा येशील

खाजगी गाड्या आता परवडायच्या नाही
तुह्याशिवाय दुसरं गाव दावायचं नाही
लय दिवसाचं खोळंबलं लेकीचं लेकरू
केव्हा भेटवशील बाई गायीला वासरू
बाई एसटी माई सांग कव्हा येशील

तालुक्याला जाऊन कागदपत्रं काढायची
पेरणीसाठी कर्जाची विनती हाय करायची
शाळाविना पोरं उगाच फिरतात संटी
आता तरी वाजू दे रोजची तुही घंटी
बाई एसटी माई सांग कव्हा येशील

कामाचे झाले वांदे थांबलेत आठवडी बाजार
रिकाम्या खिश्यासंग माणसं झाली लाचार
कानाला सवय लागली तुह्या आवाजाची
तूच हाये खरी रक्तवाहिनी आमच्या गावाची
बाई एसटी माई सांग कव्हा येशील
डोस्क्यावरचं गठुडं गावी कव्हा नेशील

- राणी अमोल मोरे



सजलं शिवार



कष्टाने तुझ्या रे सजलं शिवार
नटली धरणी झाला किती भार
हाकेला सर्जा राजा तुझ्या आज
मुके सवंगडी घाली स्वप्नाला साज
आहे रे तू माझ्या जीवाचा पोशिंदा
भरगोस धान्य पिकेल तुला यंदा

डोळ्यात तुझ्या कष्टाची ती झोप
घाई घाई उगवलं हिरवं रोप
बघताच तुला शेताच्या बांधावर
डुलु लागलं रान वाऱ्याच्या झोतावर
आहे रे तू माझ्या जीवाचा पोशिंदा
भरगोस धान्य पिकेल तुला यंदा

वाढलं पिक जणू लेकरू वयात
पाहून त्याला बाप सुखी होई मनात
राखणासाठी तुझा दिनरात पहारा
ढगाचे नयन भिजले पाहून पसारा
आहे रे तू माझ्या जीवाचा पोशिंदा
भरगोस धान्य पिकेल तुला यंदा

डोळ्यातल्या मायेने शिवार पिकलं
त्यागाच्या त्या मातेने पिवळं नेसलं
राजा तुझ्या कुळाला पोटभर घास
हाच त्या मातीचा दिनरात ध्यास
आहे रे तू माझ्या जीवाचा पोशिंदा
भरगोस धान्य पिकेल तुला यंदा

- राणी अमोल मोरे 



#सजलं शिवार गीत 

Sunday, July 26, 2020

IAS officers Planner of Progress



We want to reiterate here the Indian Administrative Service (IAS) officer. An IAS officer is the one who keeps the administration connected with the Politician (Ministers). They have to work together under the guidance of the ministers. Most of the IAS officers do good work during their tenure. But here we want to talk about those officers, who have fearlessly placed their department at a different height with the best change in their leadership. Yes, the country needs such officers. Many times this officers works closely with all his dedication and wants to do it continuously. But it is heard that a system called Political Pressure keeps on obstructing them by repeatedly harassing them. Even though the officers may be good, fearless and far-sighted, this system called state pressure weighs heavily on them. IAS officers are posted on any department for three years and they have to work with full morality in the interest of their department in that period. If the public leader educated and intelligent, it is easy to work and the interest of the department is also taken into consideration along with the public interest. Many times these politicians launches their over-funded schemes to become a hero in the public and it damage the economic progress of the department. If the Politician is a transactionist, then he joins with big industrialists and unfortunately he try to sell the department as if. Due to these thoughts, most of the government departments are running at a loss and are taking initiative towards privatization. A good IAS officer can save the department from damage and drowning by explaining the ministers well, if the ministers are a little noble and understandable.

        Now we will talk about the officers filled by the state service commissions working inside the administration. For example, take any one center level department, such as railway, air aviation or petroleum etc. An IAS officer is the highest head of the department and it is easier to work inside the department when other gazetted and un-gazetted officers working inside the department work with full devotion and dedication and earnestness towards their department and public interest. But it is often found that some lazy, doodle and transactional officers become a headache. The precious time of IAS officers is wasted in the process of fixing them and the work get hampered its result becomes a big downfall and backwardness of the department. 

        These two major obstacles become the cause of trouble for most of the IAS officers. If we want that some good IAS officers get to the country and work in the national interest, then the administration will have to brainstorm on this subject at the community level. Due to which the interference of the politicians in the administration related work can be reduced slightly to ensure the progress of the department and the privatization can be hindered. At the same time, we will have to ensure their responsibility in a new way by raising their positive morale by thinking seriously about their contribution by other officers and employees filled by the State Services. After all, no person can do any government and non-government work on his own without a good and uniform group is the cause of progress or downgrade of any department. That is why, only IAS officers who create strong and determined administrative group are really called a planner of progress.

- Rani Amol More

पहिला श्वास


देवा या सुंदर धर्तीवर
मी घेतला पहिला श्वास

आनंद बहरला हृदयात
मी क्षणात विस्मरला
त्या स्वर्गातला निवास
देवा या सुंदर धर्तीवर
मी घेतला पहिला श्वास

प्रकाशले नवीन जग
उघडता नयन ते कोरे
माझ्या कोमल देहाला
स्पर्शुनी जाई गार वारे
देवा या सुंदर धर्तीवर
मी घेतला पहिला श्वास

कंठातल्या स्वरांनी
गुंजल्या चारही दिशा
प्रथम अनुभवास आली
दिवसामागची काळी निशा
देवा या सुंदर धर्तीवर
मी घेतला पहिला श्वास

भावला किती तो मज
मायेचा प्रेमळ स्पर्श
एकटेपणाचा वास संपला
पाहताच माउली झाला हर्ष
देवा या सुंदर धर्तीवर
मी घेतला पहिला श्वास

- राणी अमोल मोरे

प्रगति के नियोजक IAS अधिकारी


        हम यहाँ भारतीय प्रशासकीय सेवा (IAS) अधिकारी की बात दोहराना चाहते है। IAS अधिकारी वो होता है जो प्रशासन को लोकनेताओ (मंत्रीगण) से जुड़े रखता है। इनको मंत्रीगण के मार्गदर्शन में साथ मिलकर काम करना होता है। ज्यादातर IAS अधिकारी अपने कार्यकाल मने अच्छे काम करते है। लेकिन हम यहाँ उन अधिकारियों की बात करना चाहते है, जिन्होंने अपने नेतृत्व (Leadership) में निडर होकर बेहतरीन बदलाव के साथ अपने अपने विभाग को एक अलग ऊंचाई पर रख दिया है। हाँ, ऐसेही अधिकारियों की देश को जरुरत होती है। बहुत बार यह अधिकारी अपनी पूरी लगन के साथ नेकीसे काम करते है और लगातार करना चाहते है। लेकिन सुना जाता है की राजकीय दबाव (Political Pressure) नामक तंत्र उन्हें बार बार परेशान कर के रूकावट पैदा करते रहता है। अधिकारी चाहें कीतना भी नेक, निडर और दूरदृष्टिवाला हो, तब भी यह राजकीय दबाव नामक तंत्र उनपर भारी ही पड़ता है। IAS अधिकारी किसी भी विभाग पर ज्यादा तर तीन साल के लिए चुने जाते है और उन्हें उन्ही तीन सालो में अपने विभाग के हित में दिल लगाकर पूरी नैतिकता के साथ काम करना होता है। लोकनेता पढ़े लिखे और समझदार हो, तो काम करना आसान होता है और लोकहित के साथ विभाग के हित पर भी गौर किया जाता है। बहुत से लोकनेता जनता की नजर में नायक बनने के चक्कर में उनकी ज्यादा अनुदानवाली योजनाओ की खातिर विभाग के आर्थिक उन्नति को अनदेखा कर क्षति पहुचाते है। अगर लोकनेता लेनदेनवाला हो तो फिर बड़े बड़े उद्योगपतियोंसे जुड़कर विभाग को मानो बेचने पे उतर आते है। इसी कुविचारों से आज ज्यादातर सरकारी विभाग नुकसान में चल रहे है और निजीकरण की ओर पहल कर रहे है। एक अच्छा IAS अधिकारी चाहें तो मंत्रीगण को अच्छेसे समझाकर विभाग को नुकसानी और डूबने से बचा सकता है, अगर मंत्रीगण थोड़ा भी नेक और समझने लायक हो तो। 

        अब हम प्रशासन के अंदर काम करने वाले राज्य सेवावोद्वारा भरे गए अधिकारियो की बात करेंगे। उदहारण के तौर पर केंद्रस्तर का कोई भी एक विभाग ले लीजिए, जैसे की रेल्वे, हवाई उड्डयन या फिर पेट्रोलियम इत्यादि। एक IAS अधिकारी विभाग का उच्चत्तम प्रमुख होता और उसे विभाग के अंदर काम करना तब आसान होता है, जब विभाग के अंदर कार्यरत अन्य राजपत्रित और अ-राजपत्रित अधिकारी कर्मचारी पूरी निष्ठां एवं लगन के साथ काम करने वाले और अपने विभाग और जनहित के प्रति एकनिष्ठ हो। लेकिन बहुत बार ऐसा पाया जाता है की कुछ आलसी, कामचोर और लेनदेन वाले अधिकारी सिरदर्द बन जाते है। उन्हें ठीक करने के चक्कर में IAS अधिकारीयों का कीमती वक्त बर्बाद होता रहता है और काम भी ठीक से नहीं हो पाता और परिणाम वश विभाग की अधोगति तथा पीछेहठ का बड़ा कारण बन जाता है। 

        ये दो बड़ी रुकावटे ज्यादातर IAS अधिकारीयों के परेशानी का कारन बन जाती है। अगर हम चाहते है की कुछ अच्छे IAS अधिकारी देश को मिले और देशहित में काम हो, तो प्रशासन में राजकीय दबाव से मुक्तता (Political Freedom in Administration) इस विषय पर सामुदायिक स्तर पर विचार मंथन करना पड़ेगा। जिससे राजनेतावो का प्रशासन से जुड़े कामो में हस्तक्षेप थोड़ा कम होकर विभाग की प्रगति सुनिश्चित की जा सके और निजीकरण पर रूकावट लग सके। साथ ही हमें राज्य सेवावोद्वारा भरे गए अन्य अधिकारी एवं कर्मचारी इनके योगदान पर गंभीरता से सोचकर उनका सकारात्मक मनोबल बढाकर नए ढंग से उनका दायित्व सुनिश्चित करना पड़ेगा। आखिरकार कोई भी सरकारी एवं निम् सरकारी कामकाज कोई भी इंसान अकेले अपने दम पर नहीं कर सकता, क्योँकि एक अच्छा और एकरूप समूह ही किसी भी विभाग की प्रगति या अधोगति का कारण होता है। इसीलिये एक उच्च एवं दृढ़निश्चयी प्रशासनिक समूह को तराशकर सँजोनेवाले IAS अधिकारी ही असल में प्रगति के नियोजक कहलाते है। 

- राणी अमोल मोरे



Saturday, July 25, 2020

Friends, get happiness and energy from your hobbies ..!



Dear friends,
I am sending my view to you in the form of this letter. In today's age of technology, the existence of the letter has come to an end. But, I have chosen this medium especially to reach out to you, because the love, affection and affection you find in the letter may not be found in this new technology and yes you all are very important to me so I am doing this.

        We all have many hobbies, many different things. Some even specialize in their art before marriage. We all cling to our parents and cultivate many of our things on a regular basis. However, after marriage, the picture would have changed completely. Among the responsibilities of the family, only women come forward to give up their own things. They are completely immersed in the upbringing of the children, even before they know when their own choices have taken a secondary place. I don't mean to imply that family members force us to do all this. Often those decisions are our own. Then we unknowingly get caught in this maze. Then you say, isn't family important ? Of course, family is important. But isn't it just as important to make time for yourself ? So what to do such a question arises. You have an option for this question, that is, take five minutes a day for yourself and quietly ask yourself what's different about me, who am I ? So start responding immediately to the answer that comes out of your heart more effectively and yes, whatever you choose to do, don't weigh yourself in a negative way, keep moving forward in a positive way. It can be anything you choose. For example, drawing, decorating, dancing, making others laugh by creating a different way of speaking, even drawing rangoli etc.

        Now, you say what a big deal. This is what anyone does. So friends, even if these things seem small on the surface, these things are very important in your life, find them, start working on them and remember that you don't want to show it to others, you just want to do it for yourself. The reason behind this is that you may be very busy, agile and beautiful till the age of 40, but then you start to lose attention naturally and then the children grow up and they don't feel the need for you much. In its spare time, negativity begins to infiltrate the mind and lead to mental illness.The true joy of life is slowly disappearing and irritability begins to build up about oneself. Save yourself, in time, before you get caught up in all this maze. Even though today apparently everyone is taking care of you, there is no doubt that tomorrow the picture is going to change. So start finding happiness on your own rather than expecting someone else to come and make you happy. Give a little time to your little things every day and keep a beautiful memories, so that today and in the future you will never feel like who I am ? what is my existence? Then these memories will respond to you and play with you with joy. 

        Pursuing your hobbies increases the energy of the mind and builds confidence in every task. It blooms in your eyes and face, no matter how old you are. Instead of being under the illusion that a sun will rise for me and then I will do something for myself, keep doing it in your own name. It is the right of every woman to get happiness and energy from her artistic talents and skills. 
           
          Thank you !

Whatever your hobby, it will give you happiness and energy ..!

With Regards,
(Rani Amol More)

अशी बायको भेटली का ?



दिवसभर करून वदवद
तरीही हसते गदगद
साधी भोळी आहे राहाया
सुंदर सुंदर तिची काया
सांगा बरं तुम्हाला
अशी बायको भेटली का ?

फोनवर तिची नुसती बडबड
रागात मोडते बोटं कडकड
पाय घसरून रोजचं पडते
दिवसात एकदातरी मुळूमुळू रडते
सांगा बरं तुम्हाला
अशी बायको भेटली का ?

खाऊन खाऊन झाली लठ्ठ
साड्यांसाठी करते हट्ट
मेकअप चढवून हळूच लाजते
मला मात्र वाघीण भासते
सांगा बरं तुम्हाला
अशी बायको भेटली का ?

रोजचीच असते तिची कुरकुर
ठरलेला असतो एकच सूर
मी आहे म्हणून निभावलं
म्हणते तुम्ही काय कमावलं
सांगा बरं तुम्हाला
अशी बायको भेटली का ?

छटाकभर काम दिवसभर पुरवते
एकच माळ सगळीकडे मिरवते
कशी असली तरी तीच माझी शान
सोबत आहे म्हणून नाही कशाची वाण
सांगा बरं तुम्हाला
अशी बायको भेटली का ?

- राणी अमोल मोरे


...वक्त बदलता है



मेहनत का फल होता है मीठा
क्या ये सच है या बोलो झूठा
शायद फल हमसे मुकर गया
तो मेहनत कर के क्या पाया ?

हर आस की मिली निराशा
छोड़ दी अब हर चीज़ की आशा
क्या करे रास्तें ही हम से मुड़े
हर कदम लड़ कर वही खड़े

बहुत महंगी पड़ती है अच्छाई
जान लो दुनियां की ये सच्चाई
सब कहते ढूंढ़ने से मिलता है
क्या वाक़ई में ये सब होता है ?

यहाँ सिर्फ कीमत है पैसों की
ना की हम जैसे लोगों की
दौलतबिना क्या काम की होशियारी
समझ लो आज की नई दुनियादारी

हम कितने भी कर ले जतन
क्यों नहीं बन पाते अनमोल रतन
कहते है वक्त बदलता है
हमारे हिस्से में क्यों एकसा है ?
- राणी अमोल मोरे

Friday, July 24, 2020

असा माणूस भेटला का ?



सामान्यांच्या हक्कासाठी
रान सारं पेटवून
दिनरात झटणारा
सांगा बरं तुम्हाला
असा माणूस भेटला का ?

तहान भूक विसरून
विरोध साऱ्यांचे झुगारून
सत्यासाठी पेटणारा
सांगा बरं तुम्हाला
असा माणूस भेटला का ?

ज्ञानाने भरली त्याची ओंजळ
अज्ञानाचा जरी असला गोंधळ
तग धरून उभा राहणारा
सांगा बरं तुम्हाला
असा माणूस भेटला का ?

बघून त्याची जिद्द अन तळमळ
सूज्ञांचे वाहतात अश्रू खळखळ
सत्कर्माने देवरूप पावणारा
सांगा बरं तुम्हाला
असा माणूस भेटला का ?

- राणी अमोल मोरे



शोहरत



शोहरत मिली मेहनत से
ना किसी की रहमत से
कहनेवाले तो बहुत मिले
हमने तो बस कर्म है पाले

कुछ ना होने का आक्रोश
हासिल करने का दे गया जोश
जिंदगी तू यूँ ना ऐसे मुकर
जो चाह है अब उसे पा गुज़र

हाथ में लेकर तलवार धैर्य की
गाथा लिख दी सफलता शौर्य की
सच्चाई का सदा साथ था मंत्र
ना किया कभी कपट या षड़यंत्र

पल पल संजोया कर्म से
आँखों में पनपते ख्वाब से
खूबसूरत बन गया था रास्ता
बस चलते रहने का था वास्ता

आखिर पहुँचे अपनी मंजिल
पार कर के कितने साहिल
तब जाना शोहरत पाने का सुख
साथ में उसे मिटने का दुःख

जिंदगी तूने जो है पाया
औरों को भी खूब है भाया
एक मन्नत गुजरने के बाद
शोहरत रहे सदा आबाद

- राणी अमोल मोरे

Thursday, July 23, 2020

मैत्रिणींनो, छंद जोपासून आनंद व ऊर्जा मिळवा..!


प्रिय मैत्रिणींनो,

मी आज तुम्हाला माझे मत या पत्राच्या स्वरूपात लिहून पाठवीत आहे. हल्ली तंत्रज्ञानाच्या युगात, पत्राचं अस्तित्व तसं संपतच आलंय. परंतु, मी हे माध्यम खास करून तुमच्यापर्यंत पोहचण्यासाठी निवडलय, कारण पत्रात जो मायेचा, प्रेमाचा आणि आपुलकीचा जिव्हाळा वाचतांना मिळतो तो ह्या नवीन तंत्रज्ञानात कदाचित आढळणार नाही आणि हो तुम्ही सर्व माझ्या साठी खूप महत्वाच्या आहात म्हणून हा उठाठेव.
        
आपण सर्व आपल्यामध्ये अनेक छंद, अनेक वेग वेगळ्या गोष्टी जोपासत असतोच. काही तर लग्नाआधी आपल्या कला गुणांमध्ये अत्यंत पारंगत असतात. आपण प्रत्येकजण आई वडीलाकडे हट्ट धरून, आपल्या बऱ्याच गोष्टी नियमित जोपासत राहतो. मात्र, लग्नानंतर चित्र पूर्णतः बदलेलं असतं. कुटुंबाच्या जबाबदाऱ्यांमध्ये स्वतःच्या गोष्टीचा त्याग करायला महिलाच पुढे येतात. स्वतःच्या आवडी निवडीला दुय्यम स्थान कधी प्राप्त झाले हे कळण्याआधीच त्या मुलांच्या संगोपनात, संसारात पूर्णत: तल्लीन झालेल्या असतात. मला असं अजिबात म्हणायचं नाही की कुटुंबातील सदस्य आपल्याला हे सर्व करायला भाग पाडतात. बऱ्याच वेळेला ते निर्णय आपले स्वतःचेच असतात. मग ह्या चक्रव्यूहात आपणच नकळत अडकत जातो. मग तुम्ही म्हणाल, कुटुंब महत्वाचे नाही का ? नक्कीच, कुटुंब महत्वाचे आहेच. पण स्वतःसाठी वेळ देणंही तितकंच महत्वाचं नाही का ? मग काय करायचं ? असा प्रश्न उभा राहतो. या प्रश्नासाठी आपल्याकडे पर्याय आहे, तो म्हणजे, दररोज पाच मिनिटे स्वत:साठी वेळ काढा आणि शांतपणे स्वतःलाचं प्रश्न करा माझ्यात काय वेगळं आहे, मी कोण आहे ? तेव्हा जे उत्तर जास्त प्रभावीपणे अंतःकरणातून बाहेर पडेल त्याला तुम्ही लगेच प्रतिसाद द्यायला सुरुवात करा आणि हो जी पण गोष्ट तुम्ही करण्यासाठी निवडाल त्याला तुम्ही स्वत:च नकारात्मक दृष्ट्या तोलत मोजत बसु नका, तर सकारात्मक दृष्ट्या पुढे जात रहा. तुम्ही निवडलेली गोष्ट काहीही असु शकते. उदाहरणार्थ, चित्र काढणे, सजावट करणे, नृत्य करणे, बोलण्याची वेगळी पद्धत निर्माण करून इतरांना हसवणे, अगदी रांगोळ्या काढणे इत्यादींसह काहीही. 


आता तुम्ही म्हणाल यात काय मोठं. हे तर कुणीही करतं. तर मैत्रिणींनो ह्या गोष्टी वरवर जरी लहान वाटत असल्या तरी देखील तुमच्या आयुष्यात ह्या गोष्टी महत्वाच्या आहेत, त्या शोधा, त्यात काम करणं सुरू करा आणि लक्षात ठेवा हे तुम्हाला दुसऱ्यांना दाखवायचं म्हणून करायचं नाही तर फक्त स्वतःसाठी करायचं आहे. या मागचं कारण असं की, वयाच्या चाळीशीपर्यंत कदाचित तुम्ही खुप व्यस्त, चुस्त व सुंदर असाल त्यानंतर मात्र नैसर्गिकरित्या हळूहळू सारंच ओझरायला लागतं आणि मग मुलंही मोठी होतात, त्यांनाही आपली जास्त गरज जाणवत नाही. तेव्हा रिकाम्या वेळी नकारात्मकता मनामध्ये शिरकाव करून वाढू लागते आणि मानसिक आजाराला कारणीभुत ठरते. जीवनातील खरा आनंद हळुहळू नष्ट व्हायला लागतो व स्वत:बद्दलच चिडचिड निर्माण व्हायला लागते. ह्या सर्व चक्रव्युव्हात अडकण्यापूर्वी, वेळेच्या आत, स्वत:ला वाचवा. आज जरी वरवर सर्व आपली काळजी घेतांना वाटत असले तरी उद्या चित्र बदलणार आहे यात शंका नाही. म्हणून दुसरं तिसरं कोणी येऊन तुम्हाला आनंद देईल या अपेक्षेपेक्षा स्वत:च स्वत:त आनंद शोधायला सुरुवात करा. आपल्या छोट्या छोट्या गोष्टींना  छोटासा वेळ रोज देत चला आणि एक सुंदर शिदोरी जतन करत राहा, म्हणजे आज आणि भविष्यात तुम्हाला कधीही असं वाटायला लागलं की मी कोण, माझं अस्तित्व काय ? तेव्हा हिच शिदोरी तुम्हाला प्रतिसाद देत पुढे येईल आणि आनंदाने तुम्हाला खेळवून जाईल. 

आपले छंद जोपासल्याने मनाची उर्जा वाढते आणि प्रत्येक कामामध्ये एक आत्मविश्वास निर्माण करून जाते. तो आपल्या डोळ्यात आणि चेहऱ्यावर फुलत जातो, मग वय कीतीही असो. एखादा सुर्य माझ्यासाठी उगवेल आणि तेव्हा मी स्वतःसाठी काही तरी करेल या भ्रमात बसण्यापेक्षा उगवलेला प्रत्येक सूर्य स्वतःच्या नावावर करत रहा. स्वत:च्या कला गुणांना, कौशल्याला वाव देऊन त्यांना जोपासून आनंद व ऊर्जा मिळवणे हा प्रत्येक महिलेचा अधिकार आहे आणि तो त्यांनी मिळवलाचं पाहिजे म्हणूनच हा संवाद. 

धन्यवाद !
जोपासा आपला छंद, तोच देईल आनंद..!

आपली स्नेही, 
(राणी अमोल मोरे)
 



Monday, July 20, 2020

कर्म हाच धर्म


कर्म हाच धर्म, असे मानवा
जीवनाचा एकचं, मार्ग नुसता

सार्थ तो विचार, फुले अंतरी
सत्यासी लाचार, न करता

स्वार्थी ते जीवन, करी अमंगल 
इतरांची सेवा, तुच्छ लेखता 

नको रूढी प्रथा, ज्या अनाठाई
सोडुनी द्याव्या, हित जाणता

बोले मन आज, द्यावा आधार
सर्वांसी प्रेमाने, द्वेश न धरता

मिळाला जन्म, करूया सार्थ
समजूनी धर्म, जाणू विधाता

- राणी अमोल मोरे

Friday, July 17, 2020

शिदोरीचं ओझं


आमच्या जवळ होतं शिदोरीचं ओझं
उघडून मात्र कधी पाहिलंच नाही
दुसऱ्यांचे डबे बसलो न्याहाळत
भूक मरून गेली कळलंच नाही

आयुष्यभर पुरेल असा मौलिक सार
शिदोरीत आमच्याही बांधला होता
उगाच समजून घेतला जीवावर भार
जो आम्हीच खाऊन जगायचा होता

अपार कष्ट सोसून त्यांनी जुळवला
मायेपोटी अमृताचा एक एक घास
सुख समृद्धीसाठी होता तो जिव्हाळा
आम्ही सोडला घेऊन वरवरचा वास

✍ राणी अमोल मोरे

©Rani Amol More

Thursday, July 16, 2020

चीटियां


छोटीसी चीटियां
पाठ पढ़ाये बढ़िया 
दिखती है कणभर
भागदौड़ करे दिनभर

हमारी बड़ी दुनिया
पर उस में बड़ी खुबिया
नहीं छिनती किसी से
जमाये अपने कर्मो से

मीठा मीठा दाना
उसने लक्ष है माना
इंसान देख न पाये
वो जो कर्म संजोये

अदम्य साहस दिल में
अमन उसकी सोच में
हाथी को रुलाये
अगर गुस्सा दिलाये

खतरा जब मंडराए
पल में संभल जाए
मृत्यु से ना घबराए
अपना धर्म निभाए

कभी ना होती सुस्त
हरदम दिखे चुस्त
आशियाना उसका गुप्त
पल में हो जाए लुप्त

✍राणी अमोल मोरे



 ©Rani Amol More

ऑफिस-ऑफिस



आपलं गड्या ऑफिस लय हाय भारी 
गोष्ट सांगतो त्याची आज तुले खरी 
उन्हा पाण्यात धाव धाव नित्य मी सुटतो
घेत नाही सुट्टी रोज हजर राहतो

कामात न्हाय सोडत जराबी सैल
जणू मी ऑफिसात बनतो कोलूचा बैल
किती केली मरमर भेटत नाही बढती
पाहून घरचे सारेच मलाच रागा भरती

जेवण करतो जणू घोडा खातो घास
घामाने अंगाचा नुसता येतो वास
दमतो करून रोज तोच तो नाच
नाही खात कुणाकडून कवडीची लाच

डोळ्यात माझ्या स्वप्न होती हजार
ऑफिसच्या राजकारणात झाली हद्दपार
कोणी आहे अधिकारी तर कोणी लाचार
काही करतात काम काही नुसतेच संचार

हीच आहे कामाची नित्य दिनचर्या
यात माझ्या हाडाचा लय वाजतो बोऱ्या
पायता पायता वेळ अशीच जाईल निघून
एक दिवस रिटायरमेंट बाहेर देईल झोकून


 ©Rani Amol More

Wednesday, July 15, 2020

गावच नव्हतं पत्यावर



एका उपाशी डोंगरानं खाल्लं माझं गाव
जगाच्या नकाशावर पुसलं त्याचं नाव
सुनी सुनी वाटे रिकामी आता जागा
डोंगराने पाडल्या जणू हृद्यात भेगा

मानवाने दिल्या होत्या कटूत्वाच्या जखमा
त्याच्याच मोजल्या आज त्यांनी रकमा
तांडवाची डोंगराला आली होती लहर
सोसू नाही शकलं गाव त्याचा कहर

सकाळी पडला होता आंगणात सडा
मन हलवुन गेला पाहुन तो रडा
सारं गाव दडलं डोंगराच्या गाळात
कोणी नाही सुरक्षित कुठल्याच माळात

गाई गुरे निजली होती गवताच्या उशीत
डोंगरानं घेतलं त्यांना आपल्याचं कुशीत
सकाळची एसटी आली होती रस्त्यावर
पण गावच नव्हतं आज त्याच्या पत्त्यावर

रानमोती काव्यसंग्रहातून.....


 ©Rani Amol More

तू खुद ही एक पूर्ण जीवन है


अगर तू समझता है
तो तू खुद ही एक पूर्ण जीवन है

अगर तू सोचता है
तू एक हारा हुआ इंसान है
तो याद कर जीवन की सबसे बड़ी रेस
जो तू पैदा होने से पहले ही जीत गया था
लाखो करोड़ो को पीछे छोड़
तू अकेला ही जिन्दा रह पाया था
अगर तू समझता है
तो तू खुद ही एक पूर्ण जीवन है

अगर तू सोचता है
तू एक बेघर इंसान है
तो याद कर वो माँ की कोख
जिसमे नौ महीने तेरा बसेरा था
वो दुनियाँ का सबसे अनोखा घर
जो चाह कर भी कोई बांध नहीं सकता
अगर तू समझता है
तो तू खुद ही एक पूर्ण जीवन है

अगर तू सोचता है
तुझे कोई उपहार नहीं मिलता
तो याद कर वो हवा की अनोखी पहल
जो सबके साथ तुझे भी समान मिलती है
वो कुदरत के अनंत उपहार
जो कोई भी तुझ से छीन नहीं सकता
अगर तू समझता है
तो तू खुद ही एक पूर्ण जीवन है

अगर तू सोचता है
तुझे कोई साथ नहीं देता
तो याद कर वो सूरज की किरण
जो तुझे भी छू कर ऊर्जा दे जाती है
जीवन इन्ही लमहो से गुजरता है
फिर तू अकेला कैसे हुआ
अगर तू समझता है
तो तू खुद ही एक पूर्ण जीवन है

✍रानमोती /Ranmoti 




 ©Rani Amol More

Tuesday, July 14, 2020

कभी सोचा है...



कभी सोचा है

हरे हरे पत्तों से
मोतियों की बून्द बरसती है
पानी की धाराये
परदा बनके सजती है
प्रकृति का निरंतर
बारिश एक उपहार है
कभी सोचा है

वो एक सर्दसा
आलम समेट कर आती है
ग्रीष्म को चुटकी में
धरती से उड़ा ले जाती है
हरे हरे रंगो से
खुशियाली फैला देती है
कभी सोचा है

हम देखे या न देखे
हर कोने से मंडराती है
दुःख सारे समेटकर
समंदर में बहा ले जाती है
जीने का वरदान
जीवन को दे जाती है
कभी सोचा है

सड़क पर चलने में
हमें तकलीफ होती है
वो चंद ही पल में
मिट्टी में घुल जाती है
मानो या ना मानो
वक्त पर प्यास बुझा जाती है
कभी सोचा है

जीवन का बारिश
एक बहुमूल्य तत्त्व है
अमूल्य होकर भी
मुफ्त में मिल जाता है
इसी जलतत्त्व से
मनुष्य का देह रूप लेता है
कभी सोचा है

- Ranmoti / रानमोती
 


 ©Rani Amol More

Sunday, July 12, 2020

जिये जा रहे थे

अनचाहें रास्तें पर चले जा रहे थे
दुनियाँ की बातों में फसे जा रहे थे
लोगों की तारीफों में बहे जा रहे थे
न जाने कौन से गुरुर में जिये जा रहे थे

सच्चाई से मुँह मोड़ भागे जा रहे थे
इंसानियत की दिवार तोड़ चले जा रहे थे
स्वार्थ की चादर ओढ़ सोये जा रहे थे
न जाने कौन से धर्म को जिये जा रहे थे

प्रकृति ने खेल खेला तो रोये जा रहे थे
अपनेही कर्मों की सजा भुगतें जा रहे थे
घर में बैठ जीवन की आस लगाए जा रहे थे
न जाने कौन से अधर्मों की कृपा जिये जा रहे थे
✍ रानमोती



 ©Rani Amol More

पुरे आता युरियाचा गाजावाजा

माझ्या बळीराजासाठी महत्वपूर्ण माहिती

ऐका हो ऐका बळीराजा 
पुरे आता युरियाचा गाजावाजा 

युरिया नसे मुख्य खत 
का त्याची लाविता पिकास लत 

युरिया बनुनी पूरक खत गोड 
देई संयुक्त खतातील नत्रास जोड 

एकरी एक गोणी हाच नियम पाळा 
अनाठाई युरिया खरेदी आता टाळा 

युरिया खताचा जादा वापर 
किडीला निमंत्रणाचं फुटेल पाझर 

अमोनियम सल्फेट पर्याय दुसरा 
युरिया खताला आतातरी विसरा 

अमोनियम सल्फेट करी हळुवार पोषण 
युरियाचे मात्र हवेत होई शोषण 

युरियाशिवाय खताचा पहिला डोज होई शक्य 
२०:२०:०:१३ च्या दोन अन Mop ची अर्धी गोणी लक्षात ठेवा वाक्य

✍राणी अमोल मोरे


 ©Rani Amol More

Saturday, July 11, 2020

कुछ साल बाद..

कॉलेज के कुछ साल बाद
वो घडी आई
जब सोशल मिडिया की
मेहरबानी हुई
हर कोई जुड़ा था
अपने दोस्त जुटाने में
अपनी यादों को
ताजा कर संवारने में
न जाने कहाँ कहाँ
मग्न थे कमाने में
जुड़ गए आज एक
फ्रेंडशिप लिस्ट में
जो बॅक बेंचर्स थे
वो आज आगे थे
जो आगे थे
वो कही और ही गुम थे
कोई लूज़र था
तो कोई टॉपर था
अपनी जिंदगी का
हर कोई नायक था
कोई पति तो
कोई बीवी थी किसीकी
कही बच्चोकी
तो कही आवाज थी बर्तोनोकी
भरी पड़ी थी गैलरी
सबकी तस्वीरों से
अपनी खुशयाली
बतलाने के बहाने से
हर एक लगा था
अपनी प्रोफ़ाइल सजाने में
जिंदगी की भागदौड़ से
दो पल चुराने में
हर कोई अपनी लाइफ की
बेंच पर सवार था
बस एक ही बात थी
आगे कोई पढ़ानेवाला नहीं था
अपने ही अनुभवों से
हर कोई सिख रहा था
एक दूसरों को
ज्ञान की बातें बाँट रहा था
जिंदगी के अनदेखे
सवालों को तराश रहा था
बातों ही बातों में
एक दूजे का सहारा बन रहा था
कॉलेज के कुछ साल बाद
वो घडी आई
जब सोशल मिडिया की
मेहरबानी हुई

- RANMOTI 




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