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Friday, July 22, 2022

हे मातृभूमि

सागर से मोती चुन के लाएँगे
हे मातृभूमि
हम फिर से तुम्हें सजाएँगे

आए आँधी फ़िकर कहाँ है
आए तूफ़ान फ़िकर कहाँ है
तेरे प्यार में जीते जो यहाँ है
सैलाब से भी लड़के आएँगे
हे मातृभूमि
हम फिर से तुम्हें सजाएँगे

फ़क़ीर होने की पर्वा नही है
मरमिटने की पर्वा नही है
तेरे नाम के नारे लगाते जो यहाँ है
देशभक्ति से अमिर हो जाएँगे
हे मातृभूमि
हम फिर से तुम्हें सजाएँगे

नंदनवन हो तेरी ज़मीन
सारे जहाँ को हो तुझपे यक़ीन
तेरे मिट्टी से तिलक लगाता जो यहाँ है
उस तिलक की कसम सबको जगाएँगे
हे मातृभूमि
हम फिर से तुम्हें सजाएँगे

सुंदर तेरी मूरत सजे
तू नई नवेली दुल्हन लगे
तेरे आँचल से बंधे जो यहाँ है
मिलके विश्व मे तिरंगा लहराएँगे
हे मातृभूमि
हम फिर से तुम्हें सजाएँगे
सागर से मोती चुन के लाएँगे
- रानमोती / Ranmoti

5 comments:

  1. हे मातृभूमि तुझे सलाम ।
    very nice and energetic poem.

    ReplyDelete
  2. अप्रतिम रचना

    ReplyDelete

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