ये घने बादल रोते है मेरे लिये,
कोई इंसान दर्द नहीं समझता..
ये गरजकर बरसते है मेरे लिये,
न जाने क्यों ये वक्त नहीं समझता..
- रानमोती / Ranmoti
स दियों से समंदर के किनारे, एक ज्वालामुखी गर्म होकर अपनी चरमपर, ज्वालायें बरसा रहा था। जब तूफान आता, तो समंदर ज्वालाओ को ठंडा करने के लिए, अ...